लेखनी प्रतियोगिता -19-Oct-2023 दैनिक प्रतियोगिता - मन मेरे सुन
दैनिक प्रतियोगिता - मन मेरे सुन
मन मेरे, सुन एक बात मेरी l
क्यूँ बेचैन तू इतना l
कुछ ख़ता नहीं तेरी l
ये तो तस्तूर है ज़माने का l
आज भले के बदले ,
भला कहीं मिलता नहीं l
बुराई का है बोलबाला l
जो जितना बुरा ,
उतना नाम है कमाता l
झूठ फरेब हैं ,
कलयुग के संगी साथी l
अब पीड़ा देख दूसरे की ,
दुनिया है मुस्कुराती l
प्रार्थना भी आज ,
दूषित हो चली है l
मुझे दुःख प्रभु भले दे दो !
पर पड़ोसी के घर खुशी नहीं पचेगी l
दूसरे की थाली में घी ,
क्यूँ ज्यादा है l
क्या भक्ति में मेरी ,
कुछ काला है ?
रिश्ते रह गए बस नाम के ,
सास से बहू भिड़ जाती l
इस बुढ़िया को मौत ,
क्यों नहीं आती l
बहू की खुशियाँ देख ,
कलेजे पर सास के सांप लौटते l
जो सुख मुझे ना मिले ,
इस कर्मजली को प्रभु क्यों मिले l
नाते रिश्ते बने स्वार्थी ,
बिन मतलब कोई हाल ना पूछे l
भाई से भाई लड़ता ,
नंनद भाभी सूरत ना देखे, एक दूजे की l
परिवार के नाम पर ,
हो रहा खेल अजब l
जो है भोला वो ,
कहलाता बेवकूफ़ आज l
मन पर तू ना हो उदास l
आज भी कायम है जग में विश्वास l
जिस के सहारे चल रही है ये सृष्टि l
तू बस रख उस प्रभु पर विश्वास l
जिसने जो किया , वो पाएगा l
कर्म उसका लौट कर आएगा l
गीता को तू ना बिसार l
श्री कृष्ण के चरणों में लग्न लगा l
भूल कर सारे विषाद l
कृष्ण भज तू राम भज !
पार होगा तब ये संसार सिंधु l
तू खुद पर और अपने ख़ुदा पर ,
विश्वास बस विश्वास रख l
#दैनिक प्रतियोगिता के लिए
Mohammed urooj khan
21-Oct-2023 11:26 AM
👍👍👍👍
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madhura
20-Oct-2023 11:37 AM
Amazing
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
20-Oct-2023 09:57 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति और खूबसूरत संदेश
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